लेखनी प्रतियोगिता -29-Jun-2022 सास बने मां बहू बने बेटी
लेखिका-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-सास बने मां ,बहू बने बेटी
सास भी थी कभी बहू
यह क्यों भूल जाती
फिर बहू को बेटी क्यू नहीं बनाती
घर में तेरे संग रहती
फिर क्यों नहीं तेरे संग पटती
मायके में होती लाडली
तू भी एक बार बनकर मां
हाथ थाम कर बन उसकी साथी
बुढ़ापे की बनती वही लाठी
जिंदगी पर तेरे वही काम आती
वो भी तुझे मां कहकर पुकारती
फिर क्यू बेटी कह कर तू नहीं बुलाती
फिर क्यू उलाहनो की बांधती गठरी
मायका छोड़ सासरे आई
अपना घर बार छोड़ तेरे बेटे को अपनाई
तेरे बेटे की है अर्धांगिनी
फिर क्यों बेटी कह कर तु नहीं बुलाती
जब होती तेरी बेटी की होती कोई खुशी
चारों दिशा करती चर्चा
फिर बहू को क्यू ना मिले दर्जा
बेटी को मिले ऊंची शिक्षा
मिले उसे नौकरी का पर्चा
घर में बजता ढोल ताशा
होती हमारी ऐसी सोच
बहु नहीं करेगी नौकरी
घर का काम करें यही उसकी ड्यूटी
होती है घर की जिम्मेदारी
बहू को भी मिले बेटी का दर्जा
रखते हैं समाज में अपनी वार्ता
बहू भी है समान हक की दाता
ना पाटों तुम दूरियां
नहीं तो बन जाएंगी खाइया
बस एक दूसरे को दिखेंगी खामियां
ना बनो तुम सास
हे मेरी यही आस
बहु को बेटी बनाकर
दो हमेशा साथ
रखो स्वभाव में सहजता
शब्द में हो निर्मल नदियां बहाव जैसा
बहू को बनाकर रखो बेटी
बहु बनाये ससुराल को पिहर
घर की डोर वही संभालती
डोर जब टूट जाती
फिर नहीं जुड़ पाती
जब वह बेटी से बहू बनकर आती
मन में अपने आस जगाती
तुम्हारे कुल का मान बढ़ाती
तुम्हारे घर को देखकर वंश
पीढ़ी को आगे बढ़ाती
बहू को बनाकर रखो बेटी
सास को बनाकर रखो मां
यही दोनों शब्द मिलकर
परिवार में बनता अटूटबंधन
होता रिश्तो का अभिनंदन
एक दूसरे का साथ निभाती
तभी आती परिवार में खुशहाली
Seema Priyadarshini sahay
01-Jul-2022 10:38 AM
बहुत खूबसूरत
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Shrishti pandey
30-Jun-2022 09:08 PM
Very nice
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Abhinav ji
30-Jun-2022 07:42 AM
Nice👍
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